कंक्रीट के जंगलों में पचासों मंजिला ऊँची इमारतें , शानदार शोपिंग कॉम्प्लेक्स, चढ़ती-उतरती लिफ्टें , रंग-बिरंगे परदे , रिसेप्शनिस्ट का मुस्कुराता चेहरा , कांटे-छूरी की आवाजों के साथ बिजनेस की बातें , टकराते जाम, इतराती नाज़ुकियां और बढ़ती महत्त्वाकांक्षाएं .................इनका अपवाद हो सकता है , मगर फलक का एकीकृत रूप ऐसा ही बनता है । आप यहाँ की रफ्तार से कदम मिलाने की जद्दोजहद तो कर सकते हैं , मगर सुकून भरी जिन्दगी की चाह न रखिएगा.... वैसे भी सतही आकर्षण कहाँ जीवन भर बाँध सकते हैं !
My Photography
Monday, 6 August 2012
कंक्रीट के जंगलों में पचासों मंजिला ऊँची इमारतें , शानदार शोपिंग कॉम्प्लेक्स, चढ़ती-उतरती लिफ्टें , रंग-बिरंगे परदे , रिसेप्शनिस्ट का मुस्कुराता चेहरा , कांटे-छूरी की आवाजों के साथ बिजनेस की बातें , टकराते जाम, इतराती नाज़ुकियां और बढ़ती महत्त्वाकांक्षाएं .................इनका अपवाद हो सकता है , मगर फलक का एकीकृत रूप ऐसा ही बनता है । आप यहाँ की रफ्तार से कदम मिलाने की जद्दोजहद तो कर सकते हैं , मगर सुकून भरी जिन्दगी की चाह न रखिएगा.... वैसे भी सतही आकर्षण कहाँ जीवन भर बाँध सकते हैं !
Saturday, 4 August 2012
बच्चों की मासूम मुस्कान और निर्मल व्यवहार देखकर हर बार इस बात पर विश्वास बढ़ता जाता है कि ईश्वर भी जब अपनी छवि को तलाशता होगा तो किसी पूजा स्थल पर जाने से पहले बच्चों को मिलता होगा । गालों पर आंसू लेकर मुस्कराने का दम केवल बच्चे ही दिखा सकते हैं ......दुनिया में सारे बच्चे -भारतीय , अमेरिकी , चाइनीज या विएतनेमीज सभी सिर्फ एक ही दर्शन सिखाते हैं कि ऐसा बड़ा बनना जो मन को मलिन बना दे और चाँद-तारों से बहल जाना भूला दे , उसकी बनिस्पत तो बच्चे ही रहने दो । बड़ा बनने की चाह हमें न जाने कब और कैसे दोहरा बना देती है ?
Friday, 3 August 2012
Thursday, 2 August 2012
| Siloso Beach, Singapore |
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